Friday 4 July 2014

Essence of Murli (Hin.): July 04, 2014

सार:- “मीठे बच्चे – बाप से होलसेल व्यपार करना सीखो,होलसेल व्यापार है मन्मनाभवअल्फ़ को याद करना और कराना,बाकी सब है रिटेल
 प्रश्न:- बाप अपने घर में किन बच्चों की वेलकम करेंगे?

उत्तर:- जो बच्चे अच्छी रीति बाप की मत पर चलते हैं और कोई को भी याद नहीं करते हैंदेह सहित देह के सभी सम्बन्धों से बुद्धियोग तोड़ एक की याद में रहते हैं,ऐसे बच्चों को बाप अपने घर में रिसीव करेंगे | बाप अभी बच्चों को गुल-गुल बनातेफिर फूल बच्चों की अपने घर में वेलकम करते हैं |

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1. जैसे बाप बच्चों पर वारी जाते हैंऐसे तन-मन-धन सहित एक बार बाप पर पूरा कुर्बान जाकर21 जन्मों का वर्सा लेना है |
 2. बाप जो अविनाशी अनमोल ख़ज़ाना देते हैं उससे अपनी झोली सदा भरपूर रखनी हैसदा इसी ख़ुशी  नशे में रहना है कि हम पदमापदम भाग्यशाली हैं |

वरदान:- ज्ञान के साथ गुणों को इमर्ज कर सर्वगुण सम्पन्न बनने वाले गुणमूर्त भव

हर एक में ज्ञान बहुत है,लेकिन अब आवश्यकता है गुणों को इमर्ज करने की इसलिए विशेष कर्म द्वारा गुण दाता बनो | संकल्प करो कि मुझे सदा गुणमूर्त बनसबको गुण मूर्त बनाने के कर्तव्य में तत्पर रहना हैइससे व्यर्थ देखनेसुनने वा करने की फुर्सत नहीं मिलेगीइस विधि से स्वयं की वा सर्व की कमजोरियाँ सहजसमाप्त हो जायेंगीतो इसमें हर एक अपने को निमित्त अव्वल नम्बर समझ सर्वगुण सम्पन्न बनने और बनाने का एक्जैम्पल बनो |

स्लोगन:- मनसा द्वारा योगदानवाचा द्वारा ज्ञान दान और कर्मणा द्वारा गुणों का दान करो |

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