सार:- “मीठे बच्चे- शान्तिधाम पावन आत्माओं का घर है, उस घर में चलना है तो समूर्ण पावन बनो”
प्रश्न:- बाप सभी बच्चो से कौन-सी गैरन्टी करते हैं ?
उत्तर:- मीठे बच्चे, तुम मुझे याद करो तो मैं गैरन्टी करता हूँ कि बिगर सजा खाये तुम मेरे घर मे चलेंगे । तुम एक बाप से दिल लगाओ, इस पुरानी दुनिया को देखतेभी नहीं देखो, इस दुनिया में रहते पवित्र बनकर दिखाओ, तो बाबा तुम्हें विथ की बादशाही अवश्य देंगे ।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. बाप का प्यारा बनने के लिए पूरा फकीर बनना है । देह को भी भूल स्वय को आत्मा समझना ही फकीर बनना है । बाप से बड़े ते बडी प्राइज लेने के लिए सम्पूर्णपावन बनकर दिखाना है ।
2. वापस घर जाना है इसलिए पुरानी दुनिया से दिल नही लगानी है । एक माशूक से ही दिल लगानी है । बाप और राजधानी को याद करना है ।
वरदान:- हर घड़ी को अन्तिम घड़ी समझ सदा एवररेडी रहने वाले तीव्र पुरूपार्थी भव !
अपनी अन्तिम घडी का कोई भरोसा नही है इसलिए हर घड़ी को अन्तिम घड़ी समझते हुए एवररेडी रहो । एवररेडी अर्थात् तीव्र पुरुषार्थी । ऐसे नही सोचो कि अभी तोविनाश होने में कुछ टाइम लगेगा फिर तैयार हो जायेगे । नही । हर घडी अन्तिम घडी है इसलिए सदा निर्मोही, निर्विकल्प, निर-व्यर्थ.. व्यर्थ भी नहीं, तब कहेगेएवररेडी । कोई भी कार्य रहे हुए हों लेकिन अपनी स्थिति सदा उपराम हो, जो होगा वो अच्छा होगा ।
स्लोगन:- अपन हाथ मे लॉ उठाना भी क्रोध का अंश है ।
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