Essence of Murli (Hin): July 10, 2014
सार:- “मीठे बच्चे- तुम्हें अपना टाइम वेस्ट नहीं करना है, अन्दर में नॉलेज का सिमरण करते रहो तो निद्राजीत बन जायेंगे, उबासी आदि नहीं आयेगी”
सार:- “मीठे बच्चे- तुम्हें अपना टाइम वेस्ट नहीं करना है, अन्दर में नॉलेज का सिमरण करते रहो तो निद्राजीत बन जायेंगे, उबासी आदि नहीं आयेगी”
प्रश्न:- तुम बच्चे बाप पर फिदा क्यों हुए हो? फिदा होने का अर्थ क्या है ?
उत्तर:- फिदा होना अर्थात् बाप की याद में समा जाना । जब याद में समा जाते हो तो आत्मा रूपी बैटरी चार्ज हो जाती है । आत्मा रूपी बैटरी निराकार बाप से जुटतीहै, तो बैटरी चार्ज हो जाती है, विकर्म विनाश हो जाते हैं । कमाई जमा हो जाती है ।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. बाप से अविनाशी ज्ञान धन लेकर दूसरों को दान करना है । ज्ञान दान करने में मनहूस नही बनना है । ज्ञान की पॉइंट्स अन्दर टपकती रहे । राजा बनने के लिएप्रजा जरूर बनानी है ।
2. अपना पोतामेल देखना है- (1) मैं बाप समान प्रेम का सागर बना हूँ? (2) कभी किसी को नाराज तो नही करता हूँ? (3) अपनी चलन पर पूरी नजर है?
वरदान:- सहज योग की साधना द्वारा साधनों पर बिजय प्राप्त करने वाले प्रयोगी आत्मा भव !
साधनों के होते, साधनों को प्रयोग में लाते योग की स्थिति डगमग न हो । योगी बन प्रयोग करना इसको कहते है न्यारा । होते हुए निमित्त मात्र, अनासक्त रूप सेप्रयोग करो । अगर इच्छा होगी तो वह इच्छा अच्छा बनने नहीं देगी । मेहनत करने मे ही समय बीत जायेगा । उस समय आप साधना मे रहने का प्रयत्न करेगे औरसाधन अपनी तरफ आकर्षित करेंगे इसलिए प्रयोगी आत्मा बन सहजयोग की साधना द्वारा साधनों के ऊपर अर्थात् प्रकृति पर विजयी बनो ।
स्लोगन:- स्वयं सन्तुष्ट रह, सबको सन्तुष्ट करना ही सन्तुष्टमणि बनना है ।
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